पद्म कालसर्प दोष :-
पंचम भाव में राहु तथा एकादश भाव में केतु के मध्य सभी ग्रहो के आने से पद्म नामक कालसर्प दोष निर्मित होता है ।इस दोष के कारण विद्द्याहीनता ,अथवा विद्द्या का सही लाभ नहीं मिल पाता ।जातक जुआ ,शराब ,एवं व्यभिचार की लत कर बैठता है ।जातक को संतान हीनता ,संतान से कष्ट अथवा पुत्र क्षय का भी दुःख झेलना पड़ जाता है ।पत्नि वं पुत्री का चरित्रहीन हो जाना भी प्रायः इसी सर्पदोष के कारण
देखना पड़ता है इस दोष के परिहार के लिए पद्मावती देवी की पूजा साधना लाभप्रद होती है ।
शिव पूजन से विशेष लाभ मिलता है ।
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