अनंत कालसर्प योग :-लग्न से सप्तम भाव में स्थित राहु -केतु के प्रभाव से अनंतकालसर्पयोग की स्थिति बनती है ।इस दोष का सीधा प्रभाव जातक के शरीर मन मस्तिष्क के साथ साथ दांपत्य भाव में प्रभाव पड़ता है ।जातक के जीवन में कोर्ट कचहरी ,मानसिक , आर्थिक एवं मौलिक न्यूनता बनी रहती है । जातक चाह कर भी प्रसन्न नहीं रह पाता अज्ञात चिंता या भय बना रहता है ।वैवहिक जीवन में कटुता ,असंतोष बना रहता है ।संतान सम्बन्धी विषमता बना रह सकता है ।
अनंत कालसर्प दोष से ग्रसित जातको को गणपति आराधना करना चाहिए । ॐ श्री गणेशाय नमः मंत्र
का नियमित जाप करना जातक के लिए लाभप्रद रहता है ।
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