महापद्म कालसर्प योग :-
षष्टम भाव में राहु एवं बारहवे केतु से निर्मित यह योग जातक के चरित्र को संदेह में रखता है ।बहुत काम लोग ही समझ पाते है ।जातक को स्वास्थ सम्बन्धी पीड़ा बनी रहती है ।कोर्ट -कचहरी मुकदमेबाजी में धन व्यय है ।लोग अनायास ही शत्रु बन है ।स्त्रियो से धोखा मिलते रहता है । इस दोष के निवार्णाथ महाकाली की शिवसहित पूजा साधना लाभप्रद रहता है ।
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