तक्षक कालसर्प योग :-
भगवान शिव के गले में सुशोभित होने वाले तक्षक नाग अत्यंत ही विषैला माना जाता है ।सप्तम भाव में राहु तथा एकम भाव में विराजमान केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाए तो यह योग निर्मित होता है ।इस दोष के कारण सम्बन्धी ही जातक के घोर शत्रु बन जाते है ।व्यपार में हानि ,कर्ज ,एवम दुर्घटनाये जीवन में आम बात होती है ।विवाह में अड़चन , पत्नी सुख में कमी इसी सर्प दोष में फलित होता है ।अतः निवार्णाथ शिव पूजन लाभप्रद रहेगा ।वर्ष में एक बार रुद्राभिषेक करना लाभप्रद रहेगा ।
गणपति पूजन जातक को हमेशा शुभता प्रदान करता है ।
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