शंखपाल कालसर्प योग :-
जब चतुर्थ भाव में राहु तथा दशम भाव में केतु स्थित हो और अन्य सभी ग्रह मध्य आ जाए तो शंखपाल नामक काल सर्प दोष होता है ।इस दोष से ग्रसित जातक को माता -पिता का सुख अल्प ही मिल पाता है व्यपार से हानि होती है ।जमीन जायदाद का सुख अल्प मिल पाता है ।गृहस्थ जीवन में असंतोष बना रहता है ।इस दोष के निवारनाथ जातक को चाहिए की वह शिव उपासना करे ।कर्तिक भगवान की पूजा लाभप्रद सिद्ध होता है ।जातक को गणपति पूजन भी शुभता प्रदान करता है ।
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