पातक काल सर्प योग :-
दशम भाव में राहु तथा चतुर्थ भाव में केतु के प्रभाव से पातक नामक कालसर्प दोष निर्मित होता है इस दोष के काऱण पतन ही पतन ,हानि ही हानि ,वियोग ही वियोग की स्थिति बनती है ।राजा के घर कंगाल पैदा होना ,विद्वान के घर अल्पबुद्धि का पैदा होना ,बाल्यावस्था में माता -पिता का वियोग होना पातक कालसर्प दोष में ही फलित होता है ।इस दोष के शमनार्थ जातक के लिए हनुमान साधना या पूजन शुभ होता है ।
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