शेषनाग कालसर्प योग :-
द्वादस भाव में राहु तथा षष्टम भाव में केतु के मध्य सभी ग्रह आजाए तब यह कालसर्प दोष निर्मित होता है ।इस दोष के प्रभाव के कारण जातक का जीवन अंधकारमय रहता है ,वाद विवाद ,नेत्र रोग ,अपयश ,लड़ाई -झगडे में पराजय ,दुर्घटना ,आदि स्थिति बना रहता है । इस दोष के शमन के लिए मनसा देवी की पूजा आराधना लाभप्रद रहता है
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