शंखनाद काल सर्प योग:-
नवम भाव में राहु तथा तृतीय भाव में केतु के मध्य सभी ग्रह के आने से यह दोष निर्मित होता है ।इस दोष के कारण जातक के जीवन में दुःख ही दुःख भरे होते है ।माता -पिता का वियोग ,जीवन भर संघर्ष ,क्रूरता ,खून खराबी ,वाद विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है । जातक मानसिक ,शारीरिक ,भौतिक एवं आध्यात्मिक
उत्थान से वंचित रहता है ।वह सब का सहयोगी तो सिद्ध होता है पर अन्य लोग उसे समय पर साथ नहीं देते है । अतः इस दोष से ग्रसित जातको को अपनी माता या माता तुल्य महिलाओ का संम्मान करना चाहिए ।रेणुका देवी की पूजा आराधना से लाभ मिलता है ।नियमित शिव पूजन सिद्धिदायक होता है ।
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