कुलिक कालसर्प योग




कुलिक कालसर्प योग :-
जब राहु द्वितीय एवं केतु अष्टम भाव में हो तब कुलिक नामक कालसर्प योग का निर्माण होता है ।ऐसा जातक प्रायः नास्तिक होता है ।छोतो छोटी बातो में क्रोध चिड़चिड़ापन स्वभाव में विद्द्य्मान रहता है ।वैवाहिक जीवन प्रायः नष्ट हो जा जाते है या वैचारिक मतभेद बढे रहते है ।स्वास्थ सम्बन्धी कष्ट बना रहता है ।जातक के जीवन में सुख का आभाव रहता है कुटुंब में क्लेश की स्थिति बनी  रहती है ।अनिद्रा रोग हो जाता है ।जातक धनवान से कंगाल हो जाता है ।जीवन की मध्य अवस्था में मानसिक असंतुलन का भी सामना करना पड़ सकता है ।इस दोष से ग्रसित जातको को पक्षिराज  गरुड़ जी की पूजा करनी  चाहिए।कर्तिक पूजन भी जातको के लिए लाभप्रद रहता है 

कोई टिप्पणी नहीं: